देहरादून। राज्य में नगर निकाय के चुनाव को लेकर लगातार संशय बना हुआ है। पिछले कई महीनो से राज्य में निकायों के चुनाव पर कसरत चल रही है, लेकिन सरकार अब तक इसके लिए फाइनल स्टेज तक औपचारिकताओं को नहीं पहुंचा पाई है। नतीजा यह रहा कि लगातार नगर निकाय के चुनाव पर संशय बना हुआ है और सरकार अब तक इस पर चुनाव कराने की कोई तारीख तय नहीं कर पाई है। बड़ी बात यह है कि यह मामला हाई कोर्ट तक भी पहुंचा है। हाई कोर्ट की तरफ से भी निकाय चुनाव कराए जाने से जुड़े कुछ महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए गए हैं। करीब 2 महीने पहले ही हाईकोर्ट में निकाय चुनाव को जल्द से जल्द कराए जाने की बात आई थी। इस दौरान प्रशासकों का कार्यकाल भी नहीं बढ़ाए जाने से जुड़ी बात रखी गई थी।
उत्तराखंड में नगर निकाय के चुनाव पर अब फिलहाल प्रशासकों का कार्यकाल अगले 3 महीने या बोर्ड के गठन होने तक के लिए बढ़ा दिया गया है। बताया गया है कि राज्य में आचार संहिता लागू होने के कारण फिलहाल नगर निकाय के चुनाव करवाना संभव नहीं हो पा रहा हैै। ऐसे में माना जा रहा है कि प्रशासकों के अगले 3 महीने तक बढ़ाए गए कार्यकाल के दौरान नगर निकाय के चुनाव को करवाने का प्रयास सरकार की तरफ से किया जाएगा। राज्य में अगले कुछ दिनों में आचार संहिता हटने के बाद इस पर तेजी से काम हो सकेगा।
उत्तराखंड में 1 दिसंबर 2023 को नगर निकायों के बोर्ड का कार्यकाल समाप्त हो गया था। ऐसे में इसके बाद के लिए जिलों के जिलाधिकारी को प्रशासक के तौर पर नियुक्त किया गया था। जिलाधिकारियों का बतौर प्रशासक का कार्यकाल भी 31 मई 2024 को 6 महीने का पूरा हो गया है। ऐसे में अब सरकार के सामने संवैधानिक संकट की स्थिति पैदा हो गई थी। लिहाजा आचार संहिता का हवाला देते हुए अनुमति लेने के बाद अब प्रशासकों का कार्यकाल 3 महीने के लिए बढ़ा दिया गया है।