ऋषिकेश। राधा अष्टमी भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय राधा रानी के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा जी का जन्म ब्रजभूमि के बरसाना गांव में हुआ था। राधा रानी को श्रीकृष्ण की अनन्य प्रेमिका और भक्ति, प्रेम और समर्पण की प्रतीक माना जाता है। राधा अष्टमी के दिन भक्त उपवास रखते हैं, राधा-कृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं और भजन-कीर्तन के माध्यम से राधा जी की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। इस दिन मंदिरों में विशेष आयोजन होते हैं, राधा-कृष्ण की झांकियां सजाई जाती हैं, और भक्ति संगीत गाया जाता है।
ऋषिकेश में स्थित श्री सच्चा अखिलेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी शुभम तिवारी ने बताया कि राधा अष्टमी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि जन्माष्टमी के लगभग 15 दिन बाद आती है, जो राधा रानी के जन्मदिन के रूप में पूरे भारत में धूमधाम से मनाई जाती है। इस साल जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त को था इसीलिए राधा अष्टमी 11सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन व्रत करने, मंदिरों में राधा-कृष्ण की झांकियां सजाने, राधा रानी के जीवन और श्रीकृष्ण के साथ उनके दिव्य प्रेम की कथाएं सुनने और भक्ति गीतों का आयोजन करवाने से राधा रानी के साथ ही श्री कृष्ण भी प्रसन्न होते हैं।