नैनीताल। नंदा देवी महोत्सव, जो नैनीताल स्थित मां नयना देवी मंदिर में आयोजित किया जाता है। वह इस वर्ष 8 सितंबर से आयोजित होने जा रहा है।
नयना देवी मंदिर के पुजारी नवीन तिवारी ने बताया कि नैनी झील के उत्तरी छोर में मां नयना देवी का मंदिर स्थित है। मंदिर की स्थापना साल 1842 में पंद्रहवीं शताब्दी में मोती राम शाह द्वारा मल्लीताल रिक्शा स्टैंड के समीप की गई थी लेकिन 1880 में आए भयानक भूस्खलन के कारण यह मंदिर ध्वस्त हो गया। बाद में इस मंदिर का निर्माण दोबारा झील के पास करवाया गया और तब से भक्तों की विशेष आस्था इस मंदिर से जुड़ी है। यह मंदिर पूरे देश में अपना खास महत्व रखता है। हर साल लाखों की संख्या में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं।
मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान शिव माता सती के मृत शरीर को लेकर कैलाश की तरफ जा रहे थे, तो अलग-अलग स्थानों पर माता के शरीर के अंग गिरे। जहां-जहां माता के अंग गिरे, उन जगहों में माता के शक्तिपीठ स्थापित हो गए। माता सती का बायां नेत्र इस जगह गिरा था, जहां आज नैनीताल है। जिस वजह से यहां मां नयना देवी शक्तिपीठ की स्थापना हुई। पुजारी नवीन तिवारी ने बताया कि मंदिर के भीतर मां नेत्र रूप में विराजमान हैं। मां की मूर्ति के साथ-साथ भगवान गणेश और मां काली की मूर्ति भी मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित हैं।
पुजारी नवीन तिवारी बताते हैं कि नयना देवी मंदिर में मां नेत्र रूप में विराजमान हैं। इस शक्तिपीठ में मां के दर्शन मात्र से नेत्र रोगों से मुक्ति मिलती है और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके प्रत्यक्ष प्रमाण भी देखे गए हैं। एक बार नेपाल निवासी एक महिला अपनी बेटी को मां के दर्शन करवाने नयना देवी मंदिर लेकर आई थी। उनकी बेटी की आंखों की रोशनी चली गई थी लेकिन मां के दर्शन के बाद जब उन्होंने अस्पताल में आंखों की जांच करवाई, तो उनकी बेटी की आंखें ठीक हो चुकी थीं. आंखों की रोशनी वापस आ गई थी।